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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने का फैसला किया है। ये कानून राज्य में साल 2022 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय लागू हुआ था। अब आगामी विधानसभा सत्र में कांग्रेस सरकार इस कानून को रद्द करने के लिए प्रस्ताव लेकर आएगी।

कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि कैबिनेट में धर्मांतरण विरोधी कानून पर चर्चा हुई। हमने 2022 में बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए बिल को रद्द करने का फैसला लिया है।

इसके अलावा बताया जा रहा है कि कर्नाटक कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय भी लिया गया है कि कक्षा छह से 10 तक की कक्षाओं में कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की किताबों में संशोधन होगा। शैक्षिक सत्र से आरएसएस संस्थापक हेडगेवार और हिंदूवादी नेता सावरकर के चैप्टर रिमूव किए जाएँगे। इनकी जगह सावित्रीबाई फुले, इंदिरा गाँधी, नेहरू के पत्रों और बीआर अंबेडकर पर लिखी कविताओं से जुड़े अध्यायों को पाठ्यक्रम में डाला जाएगा।

गौरतलब है कि साल 2021 में भाजपा सरकार द्वारा लाया गया धर्मांतरण विरोधी विधेयक में धर्मांतरण कराने पर दोषी व्यक्ति को 3 साल से लेकर 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान रखा गया था।

इस बिल में था कि यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे 60 दिन पहले जानकारी देनी होगी। इसके अलावा अगर किसी को लगता है कि उसका जबरन धर्मांतरण हुआ या दबाव बना तो वो इस संबंध में शिकायत भी दे सकता है

Agencies

 

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