दो बार बैठी सुप्रीम कोर्ट, रात में दिया तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत: ‘पद्मश्री’ के लिए पीड़ितों का इस्तेमाल, BBC का पत्रकार भी साजिश का साथी

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गुजरात हाईकोर्ट ने प्रोपेगंडा एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका रद्द करते हुए उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश सुनाया। हालाँकि, उसी दिन शाम को इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट बैठी और मामले को बड़े बेंच को हस्तानांतरित कर दिया। रात को फिर सुनवाई हुई और तीस्ता सीतलवाड़ को एक सप्ताह की राहत प्रदान कर दी गई। उन पर आरोप है कि उन्होंने 2002 में हुए गुजरात दंगों में निर्दोषों को फँसाने के लिए साजिश रची और जानबूझकर झूठे सबूत पेश करवाए।

आइए, जानते हैं कि गुजरात हाईकोर्ट ने तुरंत सरेंडर करने का आदेश देते हुए तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर क्या कहा था। गुजरात उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने का अर्थ होगा कि दो समुदायों के बीच दुश्मनी को और बढ़ावा देना। 127 पन्नों के आदेश में जस्टिस निर्जर देसाई ने कहा कि अगर तीस्ता सीतलवाड़ को बेल दे दी जाती है तो इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ेगा और सामुदायिक वैमनस्य और गहरा होगा।

गुजरात के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई भाजपा नेताओं और अधिकारियों को फँसाने की साजिश तीस्ता सीतलवाड़ ने रची थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ ने पीड़ितों और और गवाहों का अपने फायदे के लिए सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्रकार रहीं तीस्ता सीतलवाड़ ने पीड़ितों और गवाहों का सीढ़ी की तरह इस्तेमाल कर के अपना फायदा कमाया – वो न सिर्फ पद्मश्री से नवाजी गईं, बल्कि उन्हें योजना आयोग के सदस्य का पद भी मिला।

साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और पूरी सरकारी मशीनरी को बदनाम कर के तीस्ता सीतलवाड़ ने सक्रिय रूप से एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए प्रयास किया। इसके तहत विभिन्न अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक झूठे केस दर्ज करवाए गए। पीड़ितों और गवाहों को भड़का कर ऐसा करवाया गया। हाईकोर्ट ने ये भी पाया कि एक समुदाय विशेष की भावनाओं का इस्तेमाल कर के तीस्ता सीतलवाड़ ने पैसे जुटाए और इन पैसों का इस्तेमाल पीड़ितों के लिए नहीं किया।

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि अगर ऐसे लोगों को छोड़ दिया गया तो भविष्य में ऐसे कई लोग पैदा हो जाएँगे जो किसी समुदाय की संवेदनाओं का दोहन कर के किसी खास राजनीतिक पार्टी को फायदा दिलाएँगे। पीड़ितों को भड़काया जाएगा कि न्यायपालिका से उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। जज निर्जर देसाई ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं का स्वागत है, लेकिन वो पक्षपाती नहीं होने चाहिए। तीस्ता सीतलवाड़ ने कभी न्याय और शांति के लिए काम नहीं किया। इसमें रईस खान नामक एक व्यक्ति ने उनका सहयोग किया।

असल में रईस खान ने तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात 2002 दंगों के बाद बनाए गए राहत शिविरों की आंतरिक तस्वीरें मुहैया करवाई थीं। रईस खान को तीस्ता सीतलवाड़ ने कॉन्ग्रेस नेता अहमद पटेल से मिलवाया था। अहमद पटेल ने तीस्ता सीतलवाड़ को नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने को कहा। उन्होंने कुछ ऐसा काम करने को कहा कि नरेंद्र मोदी को जेल हो जाए। तीस्ता सीतलवाड़ 40 दंगा पीड़ितों को लेकर एक मंच पर पहुँचीं, जहाँ अहमद पटेल भी मौजूद थे। तीस्ता ने BBC पत्रकार पंकज शंकर के साथ मिल कर पीड़ितों के कानों में ज़हर भरा।

Courtesy: OpIndia

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