विश्व हिंदू परिषद के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने आज तमिलनाडु के महा-महिम राज्यपाल श्री आर एन रवि से राजभवन में भेंट कर सनातन धर्म पर किए जा रहे प्रहारों के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री दंडी स्वामी पू श्री जितेंद्रानंद सरस्वती, वेल्लीमलाई आश्रम के पू स्वामी चैतन्यानंद स्वामी मदुरानंद जी तथा विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आलोक कुमार के नेतृत्व में गए प्रतिनिधि मण्डल में विहिप उत्तरी तमिलनाडू के अध्यक्ष डॉ. पी चोकलिंगम तथा विहिप लीगल सेल के केंद्रीय सह-संयोजक व वरिष्ठ अधिवक्ता सु. श्रीनिवासन भी शामिल थे।
सनातन धर्म पर हाल के हमलों के बारे में दिए आपण ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि चेन्नई में ‘सनातन उन्मूलन कॉन्क्लेव’ विषय पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। कॉन्क्लेव में तमिलनाडु कैबिनेट के मंत्री श्री उदयनिधि स्टालिन ने भाग लिया। यह तथ्य कि वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे भी हैं, स्थिति की गंभीरता को और बढ़ाता है। प्रतिनिधिमंडल ने माननीय राज्यपाल से अनुरोध किया कि वे तमिलनाडु की राज्य सरकार पर उन राष्ट्र-विरोधी तत्वों पर लगाम लगाने के लिए दबाव डालें जो, अपनी घृणित मानसिकता से, गलत धारणाओं के आधार पर, सनातन धर्म को निशाना बनाकर, समाज में घृणा और वैमनस्य फैला कर, करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को गंभीर रूप से आहत कर रहे हैं। इसी प्रकार की भाषा का प्रयोग कुछ अन्य मंत्रियों व डी एम के सांसदों तथा कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन के कुछ अन्य नेताओं ने भी किया है।
श्री आलोक कुमार ने कहा कि यह बात और चिंताजनक है कि उदय निधि स्टालिन ने यह बात राज्य के हिन्दू धर्म व चैरिटेबल एंडोमेन्ट मंत्री श्री पी के शेकर बाबू के समक्ष कही, जिनके ऊपर राज्य के सभी सनातन धर्मी मंदिरों को चलाने का दायित्व है और वे सनातन उन्मूलन के अनर्गल प्रलाप को सुनते रहे! इससे यह आशंका होती है कि तमिलनाडु में राज्य सरकार भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम नहीं कर रही। उन्होंने माननीय राज्यपाल से अनुरोध किया कि वे भारत के माननीय राष्ट्रपति को भेजी जाने वाली अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी विशेष उल्लेख करें तथा इन मंत्रियों को मंत्री परिषद से हटाएँ जिन्होंने अपनी संवैधानिक शपथ का उल्लंघन किया है।
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