जरूरतमंदों को अब खून के लिए अनाप-शनाप दाम नहीं देने पड़ेंगे। अस्पताल और ब्लड बैंक अब रक्त के लिए केवल प्रोसेसिंग फीस ले सकेंगे। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने प्रोसेसिंग फीस और रक्त आपूर्ति को छोड़कर अन्य सभी तरह के शुल्क वसूलने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
देश भर में जारी किए गए निर्देश
शीर्ष दवा नियामक ने खून के लिए अधिक दाम वसूलने की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से ये अहम कदम उठाया है। इस संबंध में देशभर में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि खून बेचने के लिए नहीं होता है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रक कम लाइसेंसिंग प्राधिकारियों को भेजे गए संदेश में डीसीजीआई ने कहा कि खून के बदले मनमाने दाम नहीं वसूले जा सकते।
पत्र में साफ कहा गया है कि ‘रक्त बिक्री के लिए नहीं है।’ इसमें कहा गया है कि प्रोसेसिंग फीस और आपूर्ति शुल्क के अलावा अन्य सभी तरह के शुल्क खत्म करने का फैसला किया गया है।
250 रुपये से लेकर 1550 रुपये तक हो सकता है प्रोसेसिंग शुल्क
औषधि परामर्श समिति की बीते वर्ष 26 सितंबर को हुई 62वीं बैठक का उल्लेख करते हुए डीसीजीआई ने 26 दिसंबर को लिखे पत्र में कहा गया है कि खून और खून संबंधी अवयवों के लिए केवल प्रोसेसिंग शुल्क लगाया जा सकता है। संशोधित दिशा-निर्देश में कहा गया है कि प्रोसेसिंग शुल्क 250 रुपये से लेकर 1550 रुपये तक हो सकता है।
साथ ही डीसीजीआई ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के दवा नियंत्रकों से कहा है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी रक्त केंद्रों और अस्पतालों को संशोधित दिशा-निर्देशों का पालन करने का निर्देश दें।
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