भाजपा बिहार के जातीय समीकरणों में लगाएगी सेंध, यादवों को मोहने के लिए मोहन यादव को उतारा मैदान में

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पटना। Bihar Political News in Hindi मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Mohan Yadav) आज बिहार प्रवास पर रहेंगे। वे दोपहर 12:40 पर पटना पहुंचेंगे एवं वहां 1:10 बजे से श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल, गांधी मैदान में स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेंगे। अपराह्न 3:05 बजे एक अन्य स्थानीय कार्यक्रम में शामिल होंगे और सायं 4:15 पर बुद्ध मार्ग स्थित इस्कॉन मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे।

मोहन यादव (Mohan Yadav Bihar Visit) का यह दौरा चर्चा का विषय बना हुआ है। पटना में वह सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सबसे पहले यादव समाज के सबसे बड़े सामाजिक संगठन श्रीकृष्ण चेतना मंच के बैनर तले आयोजित सम्मान समारोह में सहभागिता करेंगे।

यादव वोटबैंक को प्रभावित करने का काम
उसके बाद भाजपा (BJP) प्रदेश कार्यालय में सांसदों, विधायकों सहित प्रदेश के तमाम पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद इस्कॉन मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के इस एक दिवसीय पटना प्रवास को लेकर कई सियासी मायने निकाले जा सकते हैं।

बीजेपी ने मध्यप्रदेश की कमान डॉ.मोहन यादव को सौंपकर कई राज्यों के यादव वोटबैंक को प्रभावित करने का काम किया है और अब 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के पहले पार्टी इसे भुनाने की कोशिश में है।

भाजपा ने तैयार की है बड़ी कार्ययोजना
दरअसल बिहार में यादव समुदाय को अपने पाले में करने के लिए भाजपा ने बड़ी कार्ययोजना तैयार की है, इसी के भागरूप इस प्रवास को भी देखा जा रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को मैदान में उतारा गया है।

उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव समुदाय एक बड़े वोट बैंक के तौर पर वहां के स्थानीय दलों के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं। बिहार में राजद के साथ जेडीयू की भी इस समुदाय में जबरदस्त पकड़ रही है। ऐसे में मोहन यादव को बिहार में उतारकर भाजपा ने बिहार की राजनीति में अपना बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है।

खेल खराब करेंगे मप्र के मुख्यमंत्री?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और पूर्व सीएम लालू यादव (Lalu Yadav) ने बिहार में दशकों से अपने मुस्लिम यादव (माई) समीकरणों के साथ सत्ता का सुख भोगते रहे हैं लेकिन लंबे समय से सत्ता में होने के चलते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने भी इस बार जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर देखी जा रही है।

पिछले विधानसभा चुनावों में भी उनकी पार्टी का वोट प्रतिशत और सीटों का ग्राफ काफी नीचे चला गया। लालू प्रसाद की आरजेडी को लेकर भी आम जनमानस में भ्रष्टाचार और कुशासन को लेकर छवि बनती है । ऐसे में जनता के सामने आरजेडी और जेडीयू को छोड़ कर बिहार में कोई मजबूत विकल्प भी नजर नहीं आता है।

आरजेडी, जेडीयू मुस्लिम और यादवों की मजबूत किलेबंदी से बिहार में सरकार बनाते आया है। बिहार में भाजपा को मजबूती देने पार्टी ने अब यादवों को एक जुट करने की रणनीति के तहत काम करना शुरु कर दिया है और इस चुनावी बिसात के केंद्र में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हैं ।

डॉ. मोहन के दौरे ने बढ़ाई क्षेत्रीय दलों की टेंशन
उत्तर प्रदेश और बिहार का यादव समाज राजनीति में नई संभावनाएं तलाश रहा है। दोनों ही राज्यों के पिछले विधानसभा चुनावों के परिणामों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वोटर अब नई संभवानाओं को तलाश रहा है।

देश की राजनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस तेजी से करवट बदल रही है उससे क्षेत्रीय दलों के सामने अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती बढ़ गई है। नए वोटरों की अपेक्षा भी बढ़ रही है। वे अपने लिए परंपरागत राजनीति से इतर नई जमीन तलाश रहे हैं।

दिल्ली का रास्ता यूपी और बिहार से गुजरता है। ऐसे में यादव समाज के राजनीतिक महत्व और उनकी उपयोगिता को समझा जा सकता है।

बिहार की कई लोकसभा सीटों पर यादव वोट निर्णायक
बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से लगभग 11 सीटों पर यादव वोट निर्णायक भूमिका में रहता हैं । ऐसी सीटों में अररिया, किशनगंज, जहानाबाद, बांका, मधुबनी, सिवान, नवादा, उजियारपुर, छपरा, मधेपुरा, पाटलिपुत्र जैसी सीटें शामिल हैं।

हर राजनीतिक पार्टी यादव वोटर्स को अपने पक्ष में गोलबंद कर अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहता है। दरअसल बिहार में लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की एक बार फिर से सक्रियता बढ़ने और यादव वोट बैंक को लामबंद करने की कोशिशों को देखते हुए इसका रुख भाजपा की तरफ करने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बिहार के मैदान में उतरने जा रहे हैं।

बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में भी डॉ. मोहन यादव को उतारने की तैयारी
डॉ. मोहन यादव के बिहार दौरे के बाद भाजपा उत्तर प्रदेश में भी उन्हें उतारने की तैयारी कर रही है। इससे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव जैसे नेताओं की मुश्किलें बढ़नी तय हैं।

डॉ. मोहन यादव का ट्रंप कार्ड चलकर भाजपा देश के सबसे अधिक सांसदों वाले प्रदेश यूपी में समाजवादी पार्टी के वोट बैंक को सीधा प्रभावित कर सकती है।

 

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