गौरव का क्षण भारत का दुनिया के सामने एक बार अंतरिक्ष में डंका, पहला 3डी रॉकेट लॉन्च कर रचा कीर्तिमान, ये है सफलता का मूल मंत्र

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भारत ने दुनिया को एक बार फिर अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी क्षमता और आत्मनिर्भरता की झलक दिखाई है। देश के अंतरिक्ष स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस (Agnikul Cosmos) ने जब गुरुवार को दुनिया का पहला 3डी रॉकेट लॉन्च कर कीर्तिमान रचा तो हर भारतीय का सीना चौड़ा हो गया। भारतीय प्राइवेट कंपनी ने सेमीक्रायोजेनिक इंजन से उड़ान भरने की क्षमता का भी पहली बार प्रदर्शन किया है।

अग्निबाण भारत का पहला सेमी-क्रायोजेनिक इंजन है। यह क्षमता अभी तक इसरो ने भी हासिल नहीं की है। अग्निबाण यह पूरी तरह से स्वदेशी है। आईआईटी मद्रास से जुड़े अग्निकुल कॉसमॉस की इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बधाई दी है। अग्निकुल कासमास ने श्रीहरिकोटा स्थित अपने परीक्षण केंद्र से स्वदेशी 3डी- प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट अग्निबाण को लॉन्च किया। अग्निबाण सेमी क्रायोजेनिक इंजन वाला भारत का पहला रॉकेट है।

अग्निकुल कॉसमॉस उपलब्धि हासिल करने वाली दूसरी कंपनी
अग्निबाण की सफल उप-कक्षीय परीक्षण उड़ान के साथ अग्निकुल कॉसमॉस यह उपलब्धि हासिल करने वाली भारत की दूसरी प्राइवेट कंपनी बन गई। हैदराबाद की स्काईरूट एयरोस्पेस उप-कक्षीय रॉकेट विक्रम-एस लॉन्च करने वाली भारत की पहली प्राइवेट कंपनी थी। स्काईरूट एयरोस्पेस ने नवंबर 2022 में यह उपलब्धि हासिल की थी। चेन्नई के अंतरिक्ष स्टार्ट-अप अग्निकुल ने गुरुवार सुबह 7.15 बजे अग्निबाण सब-ऑर्बिटल टेक्नोलाजी डेमोंस्ट्रेटर (एसओआरटीईडी) को अपने प्राइवेट परीक्षण स्थल ‘धनुष’ से प्रक्षेपित किया। परीक्षण का सीधा प्रसारण नहीं किया गया।

स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना मिशन का उद्देश्य
मिशन का उद्देश्य स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना, महत्वपूर्ण उड़ान डाटा एकत्र करना और अग्निबाण’ का परीक्षण करना है। अग्निकुल ने कहा, श्रीहरिकोटा में एसडीएससी-एसएचएआर के परिसर से अग्निबाण एसओआरटीईडी के पहले उड़ान-मिशन 01 की सफलता की घोषणा करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है। यह उपलब्धि हमने अपने और भारत के पहले तथा एकमात्र प्राइवेट प्रक्षेपण केंद्र से हासिल की जो श्रीहरिकोटा में एसडीएससी-एसएचएआर में है।

रॉकेट पूरी तरह स्वदेश में डिजाइन हुआ
इस नियंत्रित उड़ान के सभी उद्देश्य पूरे हो गए। उड़ान का प्रदर्शन सामान्य रहा। रॉकेट पूरी तरह स्वदेश में डिजाइन किया गया है। यह दुनिया के पहले ‘3डी प्रिंटेड सिंगल इंजन’ से संचालित है। यह सेमी-क्रायो इंजन वाली भारत की पहली उड़ान भी है। सेमी क्रायोजेनिक इंजन एक प्रकार के रॉकेट इंजन होते हैं जो तरल और गैसीय प्रणोदक के संयोजन का उपयोग करते हैं।

अग्निबाण मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए अग्निकुल को बधाई- इसरो
इसरो ने एक्स’ पर पोस्ट किया, अग्निबाण मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए अग्निकुल को बधाई। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, 3डी ¨प्रटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम सहित पहली बार कई उपलब्धि हासिल करना स्वदेशी डिजाइन और नवाचार की शक्ति को प्रदर्शित करती हैं। अंतरिक्ष नियामक भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (आइएन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा कि अग्निबाण एसओआरटीईडी का सफल प्रक्षेपण न केवल अग्निकुल के लिए मील का पत्थर है, बल्कि प्राइवेट कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण क्षण है जो भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में योगदान दे रहे हैं।

टीम के कठिन परिश्रम का परिणाम- सह-संस्थापक
अग्निकुल के सह-संस्थापक और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा, यह टीम के कठिन परिश्रम का परिणाम है। हमें आइएन-स्पेस और इसरो का पूर्ण समर्थन मिला। अग्निकुल के संस्थापक और सलाहकार सत्यनारायणन चक्रवर्ती ने कहा, हमें भारत का पहला सेमी-क्रायो रॉकेट इंजन विकसित करने पर गर्व है। अग्निकुल टीम में 200 से अधिक इंजीनियर शामिल हैं। इसका मार्गदर्शन इसरो के 45 सेवानिवृत्त विज्ञानियों द्वारा किया जाता है।

भारत के प्राइवेट अंतरिक्ष उद्योग के लिए गर्व का क्षण
भारतीय अंतरिक्ष संघ (आइएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त)एके भट्ट ने कहा, यह भारत के फलते-फूलते प्राइवेट अंतरिक्ष उद्योग के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन और गर्व का क्षण है। यह हमारे लिए भविष्य की एक झलक मात्र है। पूरी टीम को भविष्य के लिए शुभकामना। आइआइटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटी ने कहा, हमारे स्टार्टअप के लिए अब कोई सीमा नहीं है। अग्निकुल की इस उपलब्धि से युवा छात्रों को उद्यमिता का मार्ग अपनाने की प्रेरणा मिलेगी। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी अग्निकुल को बधाई दी है।

पांचवें प्रयास में मिली सफलता
अग्निकुल को पांचवें प्रयास में अग्निबाण एसओआरटीईडी को लांच करने में सफलता मिली। 22 मार्च, छह अप्रैल, सात अप्रैल और 28 मई को तकनीकी कठिनाइयों के कारण परीक्षण को रद करना पड़ा था।

300 किलोग्राम तक का पेलोड कक्षा में ले जा सकता है अग्निबाण
अग्निबाण अग्निबाण को एक या दो चरणों में लांच किया जा सकता है। यह 300 किलोग्राम तक का पेलोड लगभग 700 किलोमीटर की कक्षा में ले जा सकता है। 18 मीटर लंबे इस राकेट का वजन 14,000 किलोग्राम है। यह राकेट तरल और गैस प्रणोदकों के मिश्रण के साथ सेमीक्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करता है। अग्निबाण विमानन टरबाइन ईंधन केरोसीन और तरल आक्सीजन का उपयोग करता है। यह निम्न और उच्च झुकाव वाली दोनों कक्षाओं तक पहुंच सकता है। अग्निबाण को भारत में तैयार किया गया है। इसकी असेंब¨लग आइआइटी मद्रास में हुई है।

एसओआरटीईडी मिशन के तहत किया गया रॉकेट का प्रदर्शन
एसओआरटीईडी मिशन के तहत राकेट की क्षमता का प्रदर्शन किया गया। यह मिशन लगभग दो मिनट तक चला। अग्निबाण सेमीक्रायोजेनिक इंजन अग्निलेट से संचालित होगा। अग्निकुल ने राकेट को भारत में पूरी तरह से विकसित आटोपायलट साफ्टवेयर के साथ तैयार किया है।

 

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