संभल में जामा मस्जिद के सर्वे पर बवाल, पथराव-फायरिंग में चार की मौत; जिले में बाहरी लोगों की एंट्री बैन

कोर्ट के आदेश पर डीएम-एसपी के साथ मस्जिद के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर पहुंचे थे। इसी समय उपद्रवियों ने पुलिस के वाहनों में आग लगा दी। पुलिस ने भी भीड़ को काबू में करने के लिए फायरिंग की। स्थिति काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े। डीएम ने जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई है।

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कोर्ट के आदेश पर रविवार को जामा मस्जिद में सर्वे शुरू होते ही लोग उग्र हो उठे। मस्जिद के बाहर इकट्ठा हुई भीड़ ने जमकर पथराव किया व पुलिसकर्मियों के वाहनों को आग के हवाले कर दिया। अलग-अलग ग्रुपों में पहुंचे उपद्रवियों को नियंत्रित करने में पुलिस को पसीने छूट गए और गोलियां चलानी पड़ी।

पुलिस और उपद्रवियों की फायरिंग में चार लोगों की मौत हुई। इसके अलावा एक और मौत होने की बात सामने आई, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

उपद्रवियों के पथराव में एसडीएम, सीओ, एसपी के पीआरओ समेत 30 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। डेढ़ दर्जन उपद्रवियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। घटना के बाद से संभल बाजार बंद है। अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।

कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह व डीआईजी मुनिराज जी संभल में ही कैंप किए हुए हैं। कमिश्नर ने चार लोगों की मृत्यु होने की पुष्टि करते हुए बताया कि जामा मस्जिद के बाद नखासा क्षेत्र में भी पथराव किया गया। वहां से महिलाओं सहित 20 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।

बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक
डीएम ने जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। जिले में सोमवार को कुछ पार्टियों के प्रतिनिधियों के आने की संभावना है। माहौल बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर जिले की सीमा पर चेकिंग भी शुरू कर दी गई है। बीते 19 नवंबर को वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु जैन ने संभल की शाही जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का दावा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में पेश किया था। अदालत ने उसी दिन सर्वे कराए जाने का आदेश दिया था।

दूसरे चरण का सर्वे करने पहुंची थी टीम
19 नवंबर को ही वीडियोग्राफी कराने के बाद टीम वापस आ गई थी। दूसरे चरण का सर्वे करने के लिए रविवार सुबह सात बजे एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव एवं वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन व श्री गोपाल शर्मा, केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता विष्णु शर्मा एवं जामा मस्जिद कमेटी के सदर के साथ टीम मस्जिद में पहुंची। आसपास क्षेत्र की नाकेबंदी कर एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव डीएम व एसपी की मौजूदगी में मस्जिद की वीडियोग्राफी करा ही रहे थे कि इस बीच बाहर भीड़ जुटनी शुरू हो गई। कुछ लोगों ने जामा मस्जिद में घुसने का प्रयास किया।

पुलिस के रोकने पर बेकाबू हुए हालात
पुलिस फोर्स के रोकने पर हालात बेकाबू होते चले गए। करीब साढ़े आठ बजे भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने बल प्रयोग कर खदेड़ने की कोशिश की तो पथराव के साथ फायरिंग भी की जाने लगी। उपद्रवियों ने धार्मिक नारे लगाते हुए एक दरोगा की कार व दो दारोगाओं की मोटरसाइकिल समेत कई अन्य वाहनों में आग लगा दी। इसके बाद पुलिसफोर्स और भीड़ आमने-सामने आ गई।

आंसू गैस के गोले छोड़ने पर भी काबू में नहीं आए उपद्रवी
पुलिस की ओर से रबर बुलेट, आंसू गैस के गोले छोड़ने पर भी हालत काबू में नहीं आए तब पुलिस ने भी फायरिंग की। पथराव व फायरिंग में तीन युवकों की शाम तक मौत हो गई। इनके नाम नईम, बिलाल और मुहम्मद कैफ हैं। अयान की मुरादाबाद की तीर्थंकर महावीर मेडिकल कालेज में देर रात मृत्यु हो गई। जामा मस्जिद से शुरू हुआ विवाद मुस्लिम बहुल क्षेत्र नखासा तक पहुंच गया।

30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल
पुलिस ने किसी तरह वहां भी स्थिति को नियंत्रित किया।फायरिंग व पथराव में बहजोई के डिप्टी कलेक्टर रमेश बाबू, सीओ अनुज चौधरी, संभल के प्रभारी निरीक्षक अनुज तोमर, असमोली के थानाध्याक्ष योगेश कुमार, कैलादेवी के थानाध्यक्ष राजीव मलिक, कुढ़ फतेहगढ़ के थानाध्यक्ष राधेश्याम शर्मा और पुलिस अधीक्षक के पीआरओ संजीव कुमार समेत 30 से ज्यादा अधिकारी व पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। घटना के बाद शहर में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

पत्थरबाजाें की पहचान की जा रही है
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने कहा है कि पुलिस पत्थरबाजी करने वालों की पहचान कर रही है। आरोपितों की पहचान के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। एहतियात के तौर पर आसपास के जिलों से पुलिस बल को संभल भेजा गया है।
एडीजी जोन रमित शर्मा सहित व रेंज के कई अधिकारियों को भी मौके पर भेजा गया है। चार कंपनी पीएसी व रैपिड एक्शन फोर्स की एक कंपनी भी संभल में तैनात की गई है।

ये है कोर्ट का आदेश
संभल की शाही जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने के दावे पर कोर्ट ने कहा है कि कोई भी आदेश पारित करने से पहले दूसरे पक्ष को भी सुना जाना जरूरी है। इसलिए भारत सरकार व अन्य दूसरे पक्षों को सुने जाने के लिए नोटिस भेजा जाए ताकि दोनों पक्षों को सुनकर किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके। एडवोकेट कमिश्नर अपनी मौके की रिपोर्ट अदालत में नियत तिथि को प्रस्तुत करें। मामला संवेदनशील होने के कारण उसकी वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी की जाए। डीएम व एसपी मौके पर पुलिस बल उपलब्ध कराएं।(यह आदेश 19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन ने दिया है)-

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