संगम की रेती का स्वरूप निखर रहा है। तंबुओं की अलौकिक नगरी का अद्भुत स्वरूप मंत्रमुग्ध करने वाला है। महाकुंभ के अविस्मरणीय पल का साक्षी बनने को दुनियाभर के लोग लालायित हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति की संकल्पना साकार करने को संत व श्रद्धालु डेरा जमाने लगे हैं। अखाड़ों के नागा संत, महामंडलेश्वर हर किसी के आकर्षण का केंद्र हैं।
स्वरूप के साथ संतों का विचित्र नाम लोगों को आकर्षित कर रहा है। एनवायरनमेंट बाबा की अपनी धाक है। बवंडर बाबा, चाबी वाले बाबा की अपनी दुनिया है। हिटलर बाबा, बुलट वाले बाबा, कंप्यूटर बाबा, ट्रंप बाबा का नाम सुनकर लोगों में उनके बारे में जानने की उत्सुकता जग जाती है। भिन्न-भिन्न नामों के कारण महाकुंभ मेले में तमाम संत विशिष्ट बन गए हैं। इंदौर से आए बवंडर बाबा मदमस्त हैं। नाम के अनुरूप इनका काम है। ये देवी-देवताओं के चित्रों के अपमान के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।
प्रयागराज में कर रहे हैं जनजागरण
आराध्य के चित्रों को कोई नाली, सड़क में न फेंके उसके लिए जनजागरण में लगे हैं। एक हजार से अधिक गांवों व 500 शहरों में अभियान चलाने के बाद प्रयागराज में जनजागरण कर रहे हैं। कहते हैं नाम के कारण लोग उनसे जुड़ जाते हैं। इससे अपनी बात उन्हें बता देते हैं। दिगंबर अनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर माधव दास की ख्याति हिटलर बाबा के रूप में है। उन्होंने 1992 में प्रयागराज में संन्यास लिया। गुरु रघुवर दास ने नाम दिया माधवदास। सौंपे गए दायित्वों को वह मनमर्जी से करते थे।
ऐसे हिटलर बाबा बने माधवदास
एक सुबह गुरु के मुख से निकला, ”ये तो हिटलर हो गया है किसी की सुनता ही नहीं है…। बस तब से माधवदास” हिटलर बाबा हो गए। कहते हैं कि ”हिटलर नाम से कुछ लोग भय खाते हैं, लेकिन मैं सिर्फ अपनी साधना में लीन रहता हूं। भोर तीन बजे गंगा स्नान, एक समय अन्न ग्रहण और अधिकतर समय श्रीराम नाम जप में व्यतीत होता है। जगद्गुरु बिनैका बाबा के शिविर साकेत धाम आश्रम की व्यवस्था ट्रंप उपनामी संत संभाल रहे हैं।
वर्ष 2004 में बाबा कंचन दास ने लिया था संन्यास
असल नाम है कंचनदास जी महाराज। एम. काम उपाधि धारक कंचन दास ने वर्ष 2004 में संन्यास लिया था। विशेषता फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना है। डोनाल्ड ट्रंप पहली बार 2017 में अमेरिक के राष्ट्रपति बने तो उनकी हर गतिविधि में रुचि रखने लगे। कंचनदास की कद-काठी व चेहरा भी कुछ वैसा ही था सो गुरु ने उपनाम रख दिया ट्रंप। कंचन दास उर्फ ट्रंप ही यह तय करते हैं कि भंडारा में कब, क्या बनेगा? कितनी सामग्री प्रयुक्त होगी?
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भैरव दास उर्फ बुलेट बाबा की पहचान निराली
अब बात भैरव दास उर्फ बुलेट बाबा की। हाथ में फरसा और बुलेट पहचान है। पूजापाठ पूरा करके बुलेट से भ्रमण करते हैं। इनका सारा सामान उसी में रहता है। श्रीराम मारुति धाम काशी के पीठाधीश्वर जगदीश दास उर्फ मारुति बाबा दिगंबर अनी अखाड़ा के महंत हैं। वह बताते हैं ”करीब 20 साल पहले लंदन से गुरुभाई आए थे। मैं हनुमान जी का भक्त हूं, सो उन्होंने मुझे मारुति बाबा कह कर पुकारा, बस तबसे यही नाम लिए हूं।
कबीरा बाबा चाबी वाला
चांबी का संदेश है अच्छा कर्म करो बदलाव आएगा। कर्म से भाग्य खुल जाएगा। 17 वर्ष की आयु से घर छोड़ दिया है। स्वामी विजय गिरि की पहचान घोड़े वाले बाबा की है। आनंद अखाड़ा के संत विजय गिरि वाहनों के बजाय घोड़े की सवारी करते हैं। इसके चलते इनका नाम घोड़े वाले बाबा पड़ गया है।
एनवायरनमेंट बाबा की पहचान स्वर्ण आभूषण
आवाहन अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरि की ख्याति एनवायरनमेंट बाबा के रूप में है। 15 अगस्त 2016 को मां वैष्णो देवी मंदिर से कन्याकुमारी तक पदयात्रा निकालकर 27 लाख पौधों का वितरण करने के साथ उसे लगवाया भी था। अब तक एक करोड़ के लगभग पौधों का वितरण कर चुके हैं। महाकुंभ में 51 हजार पौधा वितरित करने का लक्ष्य है। कहते हैं पर्यावरण बचेगा तभी धरती पर जीवन रहेगा। इसलिए उसकी मुहिम में जुटा हूं। इनका स्वर्ण प्रेम भी खास पहचान है।
अपने शरीर पर सोने से जड़े हुए आभूषण पहनते हैं। इनमें सोने की माला, अंगूठी और हीरे से जड़ी घड़ी उनकी शोभा बढ़ाती है। चांदी का एक धर्म दंड हर समय हाथ में रखते हैं। कलाई में सोने के कई कड़े और बाजूबंद पहनते हैं। स्फटिक और क्रिस्टल की कीमती मलाई धारण करने से उनकी अद्भुत छवि बनती है।
कंप्यूटर बाबा की अलग है धाक
दिगंबर अनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर नामदेव दास उर्फ कंप्यूटर बाबा की अलग धाक है। कंप्यूटर की अच्छी जानकारी रखने के कारण उनका नाम कंप्यूटर बाबा पड़ गया। ये अपने दमदार बयानों के लिए जाने जाते हैं। हर मुद्दे पर बेबाकी से राय रखते हैं।
Courtesy: Jagran