ईरान समर्थित आतंकी संगठन हाउती की ओर से शुक्रवार को अदन की खाड़ी में ब्रिटिश तेल टैंकर एमवी मार्लिन लुआंडा पर हमले के बाद भारतीय नौसेना की ओर से तुरंत मदद भेजे जाने को लेकर भारत की तारीफ हो रही है। विश्वभर से विशेषज्ञ और अन्य लोग इसे भारत के एक सुपरपावर के रूप में उदय की संज्ञा दे रहे हैं।
इस घटना को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि विश्व शक्ति माने जाने और जिबूती (घटना के क्षेत्र के पास) में नौसैनिक अड्डा होने के बावजूद चीन ने संकट के समय काल का जवाब नहीं दिया। यह भारतीय नौसेना थी, जिसने कार्रवाई में तेजी दिखाई। यूरोप स्थित इतिहासकार और शोधकर्ता मार्टिन सारब्रे ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि भारत ने इससे बढ़त बना ली है। महाशक्ति का उदय हो रहा है। चीन पर लार टपकाना बंद करें।
अदन की खाड़ी में संकट के वक्त भारत ने की कार्रवाई
ब्रिटिश पत्रकार मार्क अर्बन ने भी इसे आकर्षक बताया कि अदन की खाड़ी और लाल सागर में संकट के वक्त चीन ने नहीं, बल्कि भारत ने कार्रवाई की है। अर्बन ने एक्स पोस्ट में कहा है कि उभरती महान शक्तियों के बीच यह देखना दिलचस्प है कि भारत अदन की खाड़ी और लाल सागर में संकट से कैसे उबरा है। चीन उतना नहीं।
भारत की नौसेना ने ब्रिटिश तेल टैंकर की मदद की
यूएई के हसन सजवानी ने पोस्ट में कहा है कि भारत की नौसेना ने अदन की खाड़ी में रूसी तेल उत्पाद ले जा रहे ब्रिटिश तेल टैंकर को संकट के समय मदद की। विदेशी मामलों के विशेषज्ञ अभिजीत अय्यर-मित्रा ने भी जिबूती में नौसैनिक अड्डा होने के बावजूद नौवहन संपत्तियों को सुरक्षा प्रदान नहीं करने के लिए चीन को आड़े हाथों लिया। मित्रा ने कहा कि भारत अरब सागर में नौवहन को सुरक्षा प्रदान कर रहा है, जिबूती में बेस वाला चीन ऐसा नहीं कर रहा है।
लाल सागर में हाउती के ड्रोन हमले को विफल किया
ब्रिटेन हाउती आतंकियों का हमला नहीं रुक रहा है। ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा है कि एक ब्रिटिश युद्धपोत एचएमएस डायमंड ने शनिवार को लाल सागर में हाउती की ओर से किए गए ड्रोन हमले को नाकाम कर दिया। रक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि सी वाइपर मिसाइल प्रणाली को तैनात करते हुए युद्धपोत ने उसे निशाना बनाने वाले ड्रोन को नष्ट कर दिया। हमले में एचएचएस डायमंड या उसके चालक दल को कोई क्षति नहीं हुई है।