हर वर्ष सावन महीने की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस प्रकार साल 2023 में 30 अगस्त को रक्षाबंधन है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। साथ ही भाइयों की तरक्की और उन्नति के लिए जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहन को उपहार भेंट कर उन्हें रक्षा का वचन देते हैं। यह पर्व देशभर में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। आइए, रक्षाबंधन पर्व के बारे में सबकुछ जानते हैं-.
कथा
सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण को हाथ पर चोट लग गई थी। उस समय द्रौपदी ने आंचल से एक टुकड़ा निकालकर भगवान श्रीकृष्ण के हाथ पर बांधा था। इससे चोट लगने वाले स्थान से रक्त प्रवाह रुक गया था। यह देख भगवान श्रीकृष्ण अति प्रसन्न हुए थे। उन्होंने तत्क्षण द्रौपदी को जीवन भर रक्षा का वचन दिया था। कालांतर में जब भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की मदद की थी। उस समय से रक्षाबंधन का पर्व सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त
सनातन पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 31 अगस्त को 07 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 30 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाएगा। इस दिन भद्रा समापन का समय 09 बजकर 01 मिनट है।
धार्मिक विधि
रक्षाबंधन के दिन ब्रह्म बेला में उठकर घर की साफ-सफाई करें। अब नित्य कर्मों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके पश्चात, शुद्ध पीतल की थाली में चंदन, रोली, अक्षत, राखी, अगरबत्ती, पुष्प, कुमकुम, मिठाई आदि चीजें रखें। थाली में दीपक जलाकर सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें। तदोउपरांत, पूर्व या उत्तर दिशा में मुख कर भाई को बैठाएं। भाई के सिर पर रुमाल रखें और खुद भी सिर पर दुपट्टा ओढ़ लें। अब सबसे पहले भाई के माथे पर टीका लगाएं। इसके बाद भाई की कलाई पर राखी बांधें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें-
“येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:”
अंत में भाई की आरती उतारकर मिठाई खिलाएं। इस समय भगवान से भाई की तरक्की, उन्नति और लंबी आयु की कामना करें।
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