मुझे कांग्रेसियों ने पीटा, बोले राजेंद्र सिंह गुढ़ा, लाल डायरी से राजनीति में बवंडर

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राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है। राजस्थान में कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी माने जाने वाले राजेंद्र सिंह गुढ़ा अब एक दूसरे के लिए विरोधी बन गए हैं।

मुझे पीटा गया, मीडिया के सामने रोए गुढ़ा

गहलोत सरकार में मंत्री पद से बर्खास्त किये जाने के बाद गुढ़ा ने सोमवार को विधानसभा में प्रवेश करने की कोशिश की। जिसके बाद वो मीडिया के सामने रोते हुए नजर आए।

उन्होंने गहलोत सरकार और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उन्हें विधानसभा में प्रवेश करने के दौरान मारा-पीटा गया। गुढ़ा ने रोते हुए कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाया कि उनके साथ 50 लोगों ने मारपीट की।

गहलोत और पायलट की सियासी लड़ाई में फंसे गुढ़ा
गुढ़ा ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने मुझे विधानसभा से बाहर खींच लिया। विधानसभा के अध्यक्ष ने मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी। मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए कि मैं बीजेपी के साथ हूं। मैं जानना चाहता हूं कि मेरी गलती क्या है?

झुंझुनूं के उदयपुरवाटी से बसपा के टिकट पर विधायक बने राजेंद्र गुढ़ा गहलोत से क्यों खफा हैं। इसके कई राजनीतिक पहलू है। बताया जाता है कि गुढ़ा गहलोत से इसलिए खफा हैं क्योंकि उन्हें उनके मनपसंद का विभाग नहीं मिला था। इसके साथ ही गहलोत-पायलट विवाद में उन्होंने सचिन पायलट का पक्ष लेना शुरु कर दिया था। जिससे गहलोत से धीरे-धीरे उनकी दूरियां बढ़ने लगी।

लाल डायरी दिखाने के दौरान सदन में हुई बहस
सोमवार को शून्यकाल के दौरान सदन में तब अनियंत्रित स्थिति पैदा हो गई जब गुढ़ा ‘लाल डायरी’ लेकर स्पीकर सीपी जोशी की कुर्सी के पास पहुंचे और उनसे बहस करने लगे। जैसे ही गुढ़ा ने लाल रंग की डायरी लहराई, स्पीकर ने उन्हें अपने कक्ष में आने के लिए कहा।

कुछ देर बाद गुढ़ा संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के पास पहुंचे और उनसे भिड़ गए। सदन में बीजेपी विधायकों ने भी ‘लाल डायरी’ के मुद्दे पर हंगामा किया और सदन के वेल में पहुंच गये। हंगामा बढ़ने के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। उल्लेखनीय है कि सदन शुरू होने से पहले गुढ़ा ने संवाददाताओं से कहा था कि वह आज विधानसभा में लाल डायरी के बारे में खुलासा करेंगे।

कौन हैं राजेंद्र सिंह गुढ़ा?
राजनीति में राजेंद्र सिंह गुढ़ा की पहली शुरुआत 2008 में हुई थी। बसपा के टिकट पर गुढ़ा ने 2008 में कांग्रेस के विजेंद्र सिंह और भाजपा के मदनलाल सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इसमें उन्होंने करीब 8 हजार वोटों से जीत हासिल की।

2008 में बसपा से चुनाव जीतने के बाद गुढ़ा ने बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से चुनावी मैदान में उतार दिया, लेकिन उस वक्त गुढ़ा चुनाव हार गये। इस कारण 2018 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया।

2008 में बसपा में फिर शामिल हो गए गुढ़ा
2008 के चुनाव में बसपा ने गुढ़ा को फिर से पार्टी में आने का मौका दिया। जिसके बाद फिर से गुढ़ा ने बसपा का दामन थाम लिया। बसपा ने इस बार गुढ़ा को उदयपुरवाटी सीट से टिकट दिया। इस बार इनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार शुभकरण चौधरी और कांग्रेस के भगवान राम सैनी से था। इस त्रिकोणीय चुनाव में गुढ़ा ने जीत हासिल की।

चुनाव जीतने के बाद मंत्री पद के लिए गुढ़ा ने बसपा से फिर दगा किया और एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गये। गहलोत सरकार ने इन्हें राज्यमंत्री बना दिया। लेकिन गहलोत-पायलट विवाद में उन्होंने जमकर पायलट गुट का साथ दिया। जिसके कारण वो गहलोत के विरोधी बनते चले गए।

Courtesy: Jagran

https://www.jagran.com/politics/state-who-is-rajendra-singh-gudha-crying-outside-the-rajasthan-assembly-once-considered-close-to-gehlot-23480926.html

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