Afghan Embassy In India: इन तीन कारणों की वजह से अफगानिस्तान ने बंद किया भारत में दूतावास

अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार जाने के बाद देश में तालिबानी शासन आया मगर इसके बावजूद भी भारत में पुरानी सरकार का दूतावास काम कर रहा था। अब अफगानिस्तान ने भारत में अपना दूतावास बंद कर दिया है। तालिबान ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास ने रविवार (1 अक्टूबर) से भारत में अपने परिचालन को बंद करने का फैसला किया है।

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HIGHLIGHTS

  • तालीबान ने भारत से समर्थन की कमी बताई
  • भारत में स्टाफ की कमी
  • राजनयिकों के बीच संभावित अंतर्कलह
  • दुनिया ने तालीबान को नहीं दी है मान्यता

अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार जाने के बाद देश में तालिबानी शासन आया, मगर इसके बावजूद भी भारत में पुरानी सरकार का दूतावास काम कर रहा था। अब अफगानिस्तान ने भारत में अपना दूतावास बंद कर दिया है। तालिबान ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास ने रविवार (1 अक्टूबर) से भारत में अपने परिचालन को बंद करने का फैसला किया है। तालिबान ने एक आधिकारिक बयान जारी करके कहा है, “बेहद दुख, अफसोस और निराशा के साथ नई दिल्ली में अफगानिस्तान अपने दूतावास का परिचालन बंद करने के फैसले की घोषणा करता है।” वहीं, अफगानिस्तान ने भारत में दूतावास को बंद करने के पीछे तीन बड़ी वजहें बताई हैं।

भारत से समर्थन की कमी
अफगानिस्तान ने आधिकारिक बयान में कहा, “हमारे दूतावास ने भारत में राजनयिक समर्थन की कमी का अनुभव किया है, जिससे अफगानिस्तान के सर्वोत्तम हितों की सेवा और कर्तव्य का पालन करने में बाधा पैदा हुई है।” बयान में आगे कहा गया कि अफगानिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों और दीर्घकालिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया है।

भारत में स्टाफ की कमी
अफगानिस्तान ने भारत में दूतावास को बंद करने के पीछे की दूसरी वजह स्टाफ की कमी को बताया है। बयान में कहा गया है कि कर्मचारियों और संसाधनों में कटौती की वजह से संचालन जारी रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है, जिसमें राजनयिकों के लिए वीज़ा नवीनीकरण से समय पर और पर्याप्त समर्थन की कमी भी शामिल है।

राजनयिकों के बीच संभावित अंतर्कलह
बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान के भारत में राजदूत और अन्य वरिष्ठ राजनयिक भारत छोड़कर यूरोप और अमेरिका चले गए और वहां शरण ले ली है। इसमें अफगान राजनयिकों के बीच में अंदरूनी कलह की भी बात कही गई है।

सिर्फ भारत ही नहीं और देश भी…
दरअसल, ज्यादातर देश आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देते हैं, लेकिन उन्होंने सत्तारूढ़ तालिबानी शासन के तौर पर स्वीकार कर लिया है। वहीं, पहले की सरकार द्वारा नियुक्त राजनयिकों ने तालिबान प्रशासन द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को दूतावास भवनों और संपत्ति का नियंत्रण देने से मना कर दिया है। जबकि, भारत ने कहा है कि वह तालिबान सरकार को मान्यता देने का निर्णय लेने में संयुक्त राष्ट्र के आदेशों का का पालन करेगा।

काबुल में भारत की कितनी मौजूगदी?
भारत ने अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद राजधानी काबुल से अपना पूरा मिशन खाली कर दिया था, लेकिन पिछले साल जून में अपने दूतावास को फिर से खोलने के लिए एक छोटी टीम को वापस भेजा था। इसके अलावा भारत सरकार ने 2022 में अफगानिस्तान को गेहूं, दवा, कोविड-19 टीके और सर्दियों के कपड़े सहित अन्य राहत सामग्री भेजी थी।

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