‘पार्टी भ्रमित है, जो वादा करती है, वो कभी पूरा नहीं करती’: हिजाब विवाद पर BRS की के कविता का कांग्रेस पर हमला

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी के कविता ने हिजाब विवाद को लेकर सोमवार को कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पार्टी भ्रमित है और जो चुनावों में वादा करती है उसे लागू नहीं करती है। के कविता ने कहा चुनाव जीतते ही कांग्रेस सभी वादे भूल जाती है। उन्होंने कर्नाटक में छह गारंटी देने का वादा किया था लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया है।

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भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी के कविता ने हिजाब विवाद को लेकर सोमवार को कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पार्टी भ्रमित है और जो चुनावों में वादा करती है उसे लागू नहीं करती है। के कविता ने कहा, “चुनाव जीतते ही कांग्रेस सभी वादे भूल जाती है। उन्होंने कर्नाटक में छह गारंटी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया है।”

उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने का वादा किया था, लेकिन अब वे इसे लेकर भ्रमित हैं। वे जो वादा करते हैं उसे लागू नहीं करते हैं। यह उनके डीएनए में है।”

इससे पहले, सिद्धारमैया ने शुक्रवार को घोषणा की, कि उनकी सरकार भाजपा द्वारा लगाए गए हिजाब प्रतिबंध आदेश को वापस ले लेगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कपड़ों और भोजन में लोगों की प्राथमिकताओं को लेकर कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए।

शनिवार को मुख्यमंत्री ने अपना बयान दोहराते हुए कहा कि निर्णय विचाराधीन है और सरकार इस पर चर्चा करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, “हम हिजाब पर प्रतिबंध के फैसले को वापस लेने के बारे में सोच रहे हैं। हम इस पर चर्चा करेंगे। मैंने यह बात एक सवाल के जवाब में कही है। हमने अभी तक ऐसा नहीं किया है।”

इस बीच, प्रियांक खरगे, एचके पाटिल और मधु बंगारप्पा सहित सिद्धारमैया उनकी घोषणा के समर्थन में आए और पार्टी के समावेशी राजनीतिक रुख पर प्रकाश डाला। प्रियांक खरगे ने कहा, “कर्नाटक सरकार जो कुछ भी कर रही है वह कानून और संविधान के ढांचे के अनुसार है। कर्नाटक के विकास के लिए हानिकारक किसी भी नीति की समीक्षा की जाएगी और यदि आवश्यक हो तो उसे हटा दिया जाएगा।”

कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि सीएम का फैसला कानून और पार्टी के पहले के रुख के अनुरूप है। पाटिल ने कहा, “निर्णय की घोषणा जल्द ही की जाएगी, लेकिन सीएम की सोच सरकार और पार्टी के अनुरूप है। हिजाब के बारे में पिछली सरकार का निर्णय पक्षपातपूर्ण था और देश की धर्मनिरपेक्ष सोच के अनुरूप नहीं था। इसमें चुनावों से संबंधित कुछ भी नहीं है।”

राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने मामले का राजनीतिकरण न करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। राज्य की शिक्षा नीति में संस्कृति, अध्ययन और अन्य चीजें शामिल हैं।” हालांकि, इस घोषणा की पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सहित भाजपा नेताओं ने आलोचना की, जिन्होंने इसका विरोध किया।

पूर्व सीएम बोम्मई ने कहा, “अगर आप उस पैटर्न को देखें जिसका अनुसरण सिद्धारमैया कर रहे हैं… पिछले छह महीनों से कोई विकास नहीं हुआ है। लोगों में असंतोष है। राज्य में सूखा है और वहां यह कावेरी मुद्दा भी है। उनके पास इस पुराने मुद्दे को उठाने से बेहतर काम है, जो सुप्रीम कोर्ट में है।”

उन्होंने कहा, “हर किसी के पास विकल्प है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी कानून से ऊपर है। एक निश्चित मर्यादा है। सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेगा। यह एक राजनीतिक बयान है। वह समाज में दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।”

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में हिजाब विवाद पिछले साल जनवरी 2022 में उठा था। उस समय उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में कथित तौर पर हिजाब पहनने वाली छह लड़कियों को एंट्री करने से रोक दिया गया था। इसके बाद उन लड़कियों ने बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।

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