बलूचिस्तान में छिपे आतंकवादी संगठन जैश अल अद्ल पर मिसाइल से हमला कर ईरान ने पाकिस्तान के आतंकवादी चेहरे को एक बार फिर बेनकाब कर दिया है। देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान पर आतंकवादियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह होने का जो आरोप भारत वर्षों से लगा रहा है, उस पर इस्लामिक देशों की भी मुहर लगने लगी है।
ईरान और पाकिस्तान के बीच का आपसी मामला
जानकार मान रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को लेकर भारत का दावा पहले के मुकाबले और ठोस हो गया है। इस बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा- ”यह ईरान और पाकिस्तान के बीच का आपसी मामला है। जहां तक भारत का सवाल है, आतंकवाद के प्रति हमारी नीति जीरो टालरेंस की है। हम उन कार्रवाइयों को भलीभांति समझते हैं जो देश अपनी आत्मरक्षा के लिए करते हैं।”
तालिबान ने भी उठाया आतंक का मुद्दा
भारत व ईरान के अलावा अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार भी पाकिस्तान में आतंकियों के छिपे रहने का मुद्दा उठाती रही है। प्रमुख रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा – ‘पाकिस्तान के पड़ोसी देश इस बात पर सहमत हैं कि संयुक्त राष्ट्र की तरफ से नामित कई आतंकियों को पनाह देकर और अपने पड़ोसियों पर सीमा पार से हमला कराकर पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश है।’
पाक के कूटनीतिक संबंध खत्म
एक अन्य रणनीतिक विश्लेषक सुशांत सरीन ने कहा- ‘असलियत में पाकिस्तान के अपने तीन पड़ोसी देशों भारत, अफगानिस्तान और ईरान के साथ कूटनीतिक संबंध लगभग खत्म हो गए हैं।’ सरीन ने चुटकी ली- ‘पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बन गया है। यह इकोनमी को सुधारने का बढ़िया तरीका है।’ पाकिस्तान व ईरान के रिश्तों में यह तनाव तब उत्पन्न हुआ है जब ईरान के साथ भारत के रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पिछले रविवार को तेहरान में थे, जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री से अलग-अलग हुई। दोनों देशों के बीच चाबहार बंदरगाह के विस्तार का काम तेज करने पर सहमति बनी है।
भारत भी कर चुका है सैन्य कार्रवाई
बताते चलें कि भारत ने वर्ष 2016 और वर्ष 2019 में दो बार गुलाम जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों पर सैन्य कार्रवाई की है। दोनों बार भारत सरकार ने पाकिस्तान पोषित आतंकियों के हमले के बाद उन्हें सबक सिखाने के लिए कार्रवाई की थीं। इसके अलावा अमेरिका ने भी आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए पाकिस्तान के भीतर सैन्य कार्रवाई की थी।