हिंदू धर्म में सावन मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। सावन के महीने में भगवान शिव की भक्ति का विशेष महत्व है। इस महीने को कई जगहों पर पर्व के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 4 जुलाई से सावन मास का शुभारंभ हो रहा है और अधिक मास के कारण यह 2 महीने का होगा। ऐसे में भगवान शिव की भक्ति के लिए 2 महीने का समय मिलेगा।
भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना
शास्त्रों में बताया गया है भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय है। ऐसा इसलिए क्योंकि पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तपस्या की और इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी यह मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया था। इसलिए मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करने से वह आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं।
एक कथा यह भी प्रचलित है कि भगवान शिव सावन के महीने में धरती पर आकर अपने ससुराल जाते हैं। जहां उनका स्वागत किया जाता है। इसलिए उनके स्वागत के लिए शिव भक्त जलाभिषेक अथवा रुद्राभिषेक करते हैं।
सावन में क्या है भगवान शिव को जल चढ़ाने का महत्व?
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि सावन मास में ही देवता और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था। जिसमें हलाहल विष विश भी निकला था। यह ऐसा विष था जिससे पूरे सृष्टि को सर्वनाश निश्चित था। इसलिए संसार के उत्थान के लिए भगवान शिव ने स्वयं उस विष को कंठ में धारण कर लिया था। इसलिए उन्हें नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। सभी देवताओं ने विष के वेग को कम करने के लिए शिवजी पर जल का अभिषेक किया था। यही कारण है कि सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से, वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं भक्तों की सभी प्रार्थना सुनते हैं।
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Courtesy: Jagran
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