पुरुषों में खूबसूरत दिखने का क्रेज इस कदर बढ़ा है कि वो चेहरे, नाक, होंठ, यहां तक कि कान और एब्स को सर्जरी से बदल रहे हैं। महिलाओं में जहां ब्रेस्ट इम्प्लांट का चलन देखने को मिलता है, वहीं पुरुष ब्रेस्ट टिश्यूज रिमूव करवाकर अपने शरीर की कसावट और गठीलेपन को लेकर अलर्ट हुए हैं।
इसे कॉस्मेटिक या एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जरी कहते हैं। जो पुरुषों के बीच तेजी से पॉपुलर हुई है। आइए जानते हैं कि भारत समेत पूरी दुनिया में हर साल कितने पुरुष कॉस्मेटिक सर्जरी करवाते हैं।
बॉडी इमेज सुधारकर कॉन्फिडेंस बढ़ाने की चाहत
पुणे में ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जन्स’ के प्रेसिडेंट डॉ. आशीष दवलभक्त ने दैनिक भास्कर को बताया कि अच्छा दिखने की चाहत में पुरुष प्लास्टिक सर्जरी के लिए आ रहे हैं। एक तो उनकी जरूरत और दूसरा ब्यूटीफिकेशन का मामला है। हालांकि महिलाओं की अपेक्षा उनकी संख्या अभी कम है।
डॉ. आशीष एस्थेटिक और रिकंस्ट्रक्टिव प्लास्टिक सर्जन हैं। वे कहते हैं कि किसी को अपनी नाक पसंद नहीं तो किसी को कान, किसी को अपनी बढ़ती उम्र को छुपाना है तो किसी को सुंदर दिखना है। कई बार लोग हीनभावना के शिकार होते हैं। उन्हें लगता है कि दूसरे पुरुषों के मुकाबले उनकी बॉडी ठीक नहीं है।
जिम जाने से वेट लॉस लेकिन स्किन हो जाती है लूज
कुछ लोग जिम में मेहनत करके वजन घटाते हैं। इसके बावजूद उन्हें मनचाहा रिजल्ट नहीं मिलता। वेट लॉस होने से उनकी स्किन लटकी हुई दिखती है। इसमें वो अपनी उम्र से अधिक दिखने लगते हैं। तब प्लास्टिक सर्जरी करवाना उनकी जरूरत बन जाती है। दूसरी कैटिगरी में वे लोग हैं जो मेहनत के बजाय सर्जरी से वजन कम करना चाहते हैं और फिर एक्सरसाइज अपनाते हैं। कुछ लोग प्रीमैच्योर एजिंग को धीमा करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराते हैं।
प्लास्टिक सर्जरी कराने वालों में ज्यादातर IT प्रोफेशनल्स
बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों का हेयर ट्रांसप्लांट कर चुके डॉ. सुनील गाबा कहते हैं कि कोविड के समय जब वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा तो स्क्रीन टाइम भी बढ़ गया।
ऑनलाइन मीटिंग में अपनी अपीयरेंस को लेकर लोग अलर्ट दिखे। खासकर IT प्रोफेशनल्स अपने लुक को लेकर बेहद सेंसेटिव हैं।
PGI चंडीगढ़ के प्लास्टिक सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. गाबा कहते हैं कि काउंसिलिंग के दौरान कुछ प्रोफेशनल्स का कहना था कि खुद को फिट दिखाना और अपनी बढ़ती उम्र को छुपाना उनकी मजबूरी है, जिसके लिए वे कॉस्मेटिक सर्जरी का सहारा ले रहे हैं। डॉ. गाबा के अनुसार, IT प्रोफेशनल्स सबसे अधिक नाक की प्लास्टिक सर्जरी करवाते हैं, जिसे ‘जूम बूम’ कहा जाता है।
कॉस्मेटिक सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी अलग-अलग हैं
इंडियन सोसायटी ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जरी (ISAPS) के असिस्टेंट नेशनल सेक्रेटरी डॉ. मनोज कालरा के अनुसार लोग प्लास्टिक सर्जरी और कॉस्मेटिक सर्जरी को एक ही समझने की भूल करते हैं। शरीर में किसी तरह की डिफॉर्मिटी (विकृति या गड़बड़ी) को ठीक करना प्लास्टिक सर्जरी है।
विकृति जन्म के साथ हो सकती है या फिर बर्न, एक्सीडेंट, कैंसर या किसी दूसरी बीमारी के इलाज के साइड इफेक्ट्स से हो सकती है। इनके अलग प्लास्टिक सर्जन भी होते हैं। जैसे-हाथ की डिफॉर्मिटी ठीक करने वाले हैंड प्लास्टिक सर्जन होते हैं, कैंसर के कारण हुई विकृति को ओंको रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन ठीक करते हैं।
वहीं, शरीर में जो अंग पहले से ठीक हैं लेकिन उसे और अच्छा बनाने की चाहत है जैसे-नाक छोटी है तो बड़ी कराना, नाक बैठी हुई है तो उसे उठाना, ये कॉस्मेटिक या एस्थेटिक सर्जरी कहलाती है।
क्यों लोग कराते हैं कॉस्मेटिक सर्जरी
डॉ. सुनील गाबा कहते हैं कि कॉस्मेटिक सर्जरी कराने वालों को मरीज नहीं कहा जाता। उन्हें लाइफस्टाइल और ब्यूटीफिकेशन इंडस्ट्री में क्लाइंट कहा जाता है। इस सर्जरी के बाद लोगों में ये बदलाव देखने को मिलते हैं-
- कॉन्फिडेंस बढ़ता है
- प्रोडक्टिविटी बढ़ती है
- सेल्फ प्रजेंटेशन बेहतर होता है
- बेहतर करियर ग्रोथ
- टीम लीडर बनना
पुरुषों में कॉस्मेटिक सर्जरी कितनी खर्चीली है, इसमें कितना समय लगता है और इसके साइड इफेक्ट्स क्या हैं, आइए जानते हैं-
जिम कल्चर के बाद बढ़ी गाइनेकोमास्टिया की सर्जरी
डॉ. सुनील गाबा बताते हैं कि भारत में जिम कल्चर बढ़ने के बाद युवा गाइनेकोमास्टिया के लिए अधिक आ रहे है। लड़के जिम जाते हैं। मसल्स मजबूत बनाने के लिए प्रोटीन पाउडर के साथ स्टेरॉयड्स भी लेते हैं। कुछ तो इंजेक्शन भी लेते हैं। स्टेरॉयड्स के कारण उनकी स्किन लूज हो जाती है। गांठें बन जाती हैं। ब्रेस्ट ग्लैंड्स बढ़ जाते हैं। राउंड नेक टीशर्ट या स्विम सूट पहनने पर ब्रेस्ट टिश्यूज दिखाई देते हैं। जिसे लड़के नापंसद करते हैं। इसलिए वो गाइनेकोमास्टिया के लिए आते हैं।
अमेरिकियों की तुलना में भारतीयों में फेसलिफ्ट का ट्रेंड कम
पूरी दुनिया में सबसे अधिक एस्थेटिक सर्जरी अमेरिका में होती है। वहां वर्ष 2021 में 87 हजार से अधिक फेसलिफ्ट सर्जरी की गई जबकि भारत में यह महज 5 हजार के आसपास है। डॉ. सुनील गाबा बताते हैं कि फेसलिफ्ट सर्जिकल और नॉन सर्जिकल दोनों तरीके से किया जाता है। अमेरिकी लोगों की तुलना में भारतीयों की स्किन डार्क और मोटी होती है। वाइट स्किन में कोलेजन कम होता है। वो पतली होती है। इसलिए वहां 45-50 की उम्र में ही स्किन लूज होने लगती है। जबकि भारतीयों में 60 वर्ष की उम्र के बाद यह देखा जाता है। हालांकि कुछ प्रोफेशनल्स, सेलिब्रेटी, एक्टर्स, फेस लिफ्ट कराते हैं। आजकल लेजर थेरेपी या थ्रेड्स के जरिए भी स्किन को टाइट किया जाता है।
चेहरे पर झुर्रियों को हटाने के लिए बोटॉक्स ट्रीटमेंट
डॉ. आशीष बताते हैं कि अमेरिका की तरह भारत में भी ब्यूटीफिकेशन ट्रीटमेंट में सर्जरी से ज्यादा नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट अधिक किया जाता है। सबसे अधिक चलन में बोटॉक्स ट्रीटमेंट है। बोटॉक्स एक तरह की मेेडिसिन है जो खास एरिया में इंजेक्ट करने पर मसल्स को पैरालाइज कर देती है। बहुत कम डोज के इस्तेमाल से स्किन पर पड़ी झुर्रियों को इससे ठीक किया जाता है। इसी तरह हाइलुरोनिक एसिड इंजेक्ट कर एंटी एजिंग ट्रीटमेंट होता है।
भारत में किन-किन अंगों की कॉस्मेटिक प्लास्टिक सर्जरी की जा रही, यह भी जान लेते हैं।
पुरुषों में सबसे अधिक हेयर ट्रांसप्लांट होता है
RIMS, रांची के प्लास्टिक सर्जरी के हेड डॉ. विक्रांत रंजन कहते हैं कि पुरुष सबसे अधिक हेयर ट्रांसप्लांट कराते हैं। 35 से 45 वर्ष के एज ग्रुप में यह सबसे अधिक है।
पुरुषों में सबसे अधिक हीनभावना हेयर लॉस को लेकर होती है। 2010 के बाद ऐसा ज्यादा देखने को मिला है। दिलचस्प बात यह है कि हेयर ट्रांसप्लांट क्लिनिक ही नहीं, ब्यूटी पार्लर में भी किए जा रहे हैं।
डॉ. विक्रांत बताते हैं कि हेयर ट्रांसप्लांट को लेकर कई तरह के मिथ हैं। हालांकि एक्सपर्ट अगर इसे करते हैं तो यह बिल्कुल सेफ है। इसमें आपके ही बालों को इम्प्लांट किया जाता है। जब किसी के बाल चले जाते हैं तब उसके स्कैल्प में पीछे की तरफ के बाल रहते हैं। इस एरिया को ‘डोनर एरिया’ कहते हैं, जबकि दूसरे एरिया को ‘रिसीपिएंट एरिया’ कहा जाता है। हेयर ट्रांसप्लांट में हेयर फॉलिकल्स को एक एरिया से हटाकर दूसरे एरिया में ले जाया जाता है।
भारत में बढ़ रहा कॉस्मेटिक टूरिज्म
डॉ. आशीष दवलभक्त कहते हैं कि कोविड से पहले कॉस्मेटिक सर्जरी का जोर अधिक था। पैनडेमिक के दो साल में सब ठप हो गया। पहले क्लाइंट्स कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मिडिल ईस्ट से भारत आते थे। उनके लिए यहां कॉस्मेटिक सर्जरी कराना किफायती था। साथ ही बेहतर मेडिकल सर्विस मिलती। कोविड के कारण इसमें कमी आई। 2016 में भारत पूरी दुनिया में कॉस्मेटिक सर्जरी में चौथे स्थान पर रहा था, लेकिन अभी यह आठवें स्थान पर है। भारतीय पुरुषों में कॉस्मेटिक सर्जरी का ट्रेंड बढ़ा है और कोरोना के कारण लगा ट्रैवल बैन भी हट गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में भारत कॉस्मेटिक सर्जरी के मामले में फिर से आगे आ सकता है।
ग्राफिक्स: सत्यम परिडा
Courtesy: संजय सिन्हा, Bhaskar.com